नई दिल्लीएक दिन पहलेलेखक: पवन कुमार
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नई दिल्ली एम्स में 10 दिन पहले हुए साइबर अटैक की जांच कर रही एनआईए अस्पताल का मुख्य सर्वर को जांच के लिए साथ ले गई है। एनआईए के साथ गृह मंत्रालय की दूसरी एजेंसी भी इसकी जांच में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक एम्स में 50 से ज्यादा सर्वर हैं, जिसकी जांच की जा रही है, लेकिन मुख्य सर्वर को जांच के लिए एनआईए ले गई है। दूसरे सर्वर की स्कैनिंग की जा रही है।
अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसमें कोई अंतरराष्ट्रीय हैकर का हाथ है या कोई नौसिखिये हैकर की करतूत है। उधर, एम्स के ऑनलाइन सिस्टम को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए किस तरह का सर्वर हो और कैसे ऐसी घटना दोबारा न हो इस पर काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि एम्स के डेंटल सेंटर में इंस्टॉल एक सर्वर में एम्स का सारा डेटा उपलब्ध है। लेकिन अभी उसे इसलिए अपलोड नहीं किया जा रहा, क्योंकि सभी कंप्यूटर में एंटीवायरस डाला जा रहा है और स्कैनिंग भी किया जा रहा है।
डीआरडीओ की ओर से एम्स को सर्वर उपलब्ध कराए जाएंगे। शुरुआती दौर में पांच से 10 सर्वर और इसके बाद कुछ अन्य सर्वर भी डीआरडीओ की ओर से एम्स को मिलेंगे। जांच एजेंसी उन लोगों से भी पूछताछ करने की तैयारी में हैं, जिनके पास एम्स के ऑनलाइन सिस्टम को हैंडल करने, मेंटेनेंस से लेकर सिस्टम को समय-समय पर अपडेट करने की जिम्मेदारी थी।
मंगलवार को फिर एक्टिव हुआ था डाटाहैकर्स के कब्जे में सात दिन रहने के बाद दिल्ली AIIMS में ई-अस्पताल का डेटा मंगलवार को फिर सर्वर पर आ गया है। हालांकि अभी यहां कामकाज मैन्युअली ही किया जा रहा है। दिल्ली AIIMS का सर्वर 23 नवंबर से बंद है। खबर है कि इसे हैक कर लिया गया था। सोमवार को खबर आई थी कि हैकर्स ने दिल्ली AIIMS से 200 करोड़ रुपए की मांग की थी। इसे चालू करने से पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय में हाई लेवल बैठक हुई थी। इसमें IB, NIA, पुलिस, NIC और AIIMS के अधिकारी शामिल हुए थी।
हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी में मांगे थे 200 करोड़
देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल AIIMS दिल्ली का सर्वर हैक करने वालों ने 200 करोड़ रुपए की डिमांड की है। हैकर्स ने पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में करने को कहा है। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से यह दावा किया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने किसी तरह की फिरौती मांगे जाने की बात से इनकार किया।
23 नवंबर को रैनसमवेयर अटैक से हैक हुआ था सर्वरAIIMS का सर्वर 23 नवंबर को रैनसमवेयर अटैक करके हैक कर लिया गया था। इससे अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। अस्पताल की OPD और IPD में आने वाले मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत हो रही है। सर्वर ठप होने के कारण ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने और टेलीकंसल्टेशन जैसी डिजिटल सेवाएं भी प्रभावित रहीं। हालांकि इन सभी सेवाओं को मैनुअल तौर पर चलाया जा रहा है।
नेटवर्क की पूरी तरह से सफाई करने में 5 दिन और लगने की संभावना है। इसके बाद ई-हॉस्पिटल सेवाएं शुरू की जा सकती हैं। OPD, इमरजेंसी, इन पेशेंट लेबोरेटरी आदि सेवाओं को मैनुअल मोड पर जारी रखा जा रहा है।
23 नवंबर को हुआ क्या था? पूरा मामला समझिए…AIIMS में सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर से मरीजों की रिपोर्ट नहीं मिलने की शिकायत आती है। इसके बाद बिलिंग सेंटर और डिपार्टमेंट से भी कुछ इसी तरह के कॉल आने लगते हैं। NIC की टीम ने जांच की तो पता चला कि मेन सर्वर पर सारी फाइलें नहीं खुल रही हैं।
जब टीम ने पहले बैकअप सिस्टम के जरिए फाइलों को रीस्टोर करने की कोशिश की तो पता चला कि इसमें भी सेंध लग चुकी है। फिर आगे जांच हुई तो पता चला कि फाइलों को क्लाउड में जिस एक्सटेंशन यानी ई पते पर रखा जाता है, उसे भी बदल दिया गया है। साइबर हमले की बात पुख्ता हो गई। इसके लिए भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सीईआरटी-इन) की भी मदद ली गई।
50 में से 20 सर्वर की स्कैनिंग का काम पूराAIIMS के 50 में से 20 सर्वर की स्कैनिंग का काम पूरा हो चुका है। एक्सपर्ट्स टीम बाकी के सर्वर के सैनिटाइजेशन के काम के लिए 24 घंटे काम कर रही है। NIC ई-हॉस्पिटल डेटाबेस और ई-हॉस्पिटल के लिए एप्लिकेशन सर्वर बहाल कर दिए गए हैं। 5 हजार सिस्टम में दोबारा एंटीवायरस सिस्टम फीड किया जा रहा है।
25 नवंबर को केस दर्ज किया गयादिल्ली पुलिस ने 25 नवंबर को मामले में जबरन वसूली और साइबर टेररिज्म का केस दर्ज किया था। जांच एजेंसियों की सिफारिश पर अस्पताल में कंप्यूटरों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। एम्स के सर्वर में पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, बड़े अफसरों, जजों समेत कई वीआईपी का डेटा स्टोर है।
देश में हर महीने 3 लाख साइबर अटैकइंडसफेस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर महीने हेल्थकेयर सेक्टर पर लगभग 3 लाख साइबर हमले होते हैं। ये दुनियाभर में दूसरे सबसे अधिक साइबर हमले हैं। अमेरिकी हेल्थ सेक्टर पर हर माह लगभग पांच लाख साइबर अटैक होते हैं।
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