मैंने जब घर छोड़ने का फैसला कर लिया, तो उसे भी मां कई दिन पहले ही समझ गई थीं. मैं मां-पिताजी से बात-बात में कहता ही रहता था कि मेरा मन करता है कि बाहर जाकर देखूं, दुनिया क्या है?
मां. एक अनमोल शब्द. एक अनमोल एहसास. ईश्वर का दिया सबसे अनमोल तोहफा. उम्र के साथ ज्यादातर लोगों में यह एहसास कम होता जाता है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनकी मां हीराबेन ही सब कुछ थीं. प्रधानमंत्री इसे छिपाते भी नहीं थे. साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद करते हुए कहा था, “मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करतीं थीं और पानी भरतीं थीं…इतना कह पीएम भावुक होकर रो पड़े थे.” आज जब हीराबेन नहीं रहीं, उनका निधन हो गया है तो प्रधानमंत्री के दिल पर क्या गुजर रही होगी, उसे आप प्रधानमंत्री के लिखे शब्दों को पढ़कर ही समझ सकते हैं.